दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से संबंधित है। कोर्ट ने 12 फरवरी 2025 को उन्हें दोषी करार दिया था, और आज सजा का ऐलान किया गया।
सजा सुनाए जाने से पहले, सज्जन कुमार ने अपनी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए सजा में रियायत की अपील की थी। उन्होंने कहा कि वे 80 वर्ष के हो चुके हैं और 2018 से जेल में बंद हैं, साथ ही उनका आचरण भी हमेशा सही रहा है। इसके बावजूद, कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
यह पहली बार नहीं है जब सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों के मामले में सजा सुनाई गई है। वे पहले से ही दिल्ली कैंट इलाके में हुए दंगों से संबंधित एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। इस नए फैसले के बाद, उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा और कस गया है।
1984 के सिख विरोधी दंगे, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे, जिनमें दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में सिख समुदाय के लोगों पर हमले हुए थे। इस मामले में कई नेताओं और व्यक्तियों पर दंगों को भड़काने और हिंसा में शामिल होने के आरोप लगे थे, जिनमें से सज्जन कुमार प्रमुख हैं।
इस फैसले से सिख समुदाय और उन परिवारों को कुछ हद तक न्याय मिला है, जिन्होंने 1984 के दंगों में अपने प्रियजनों को खोया था। हालांकि, यह मामला भारतीय न्याय प्रणाली में देरी और न्याय की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाता है, क्योंकि घटना के चार दशक बाद यह सजा सुनाई गई है।
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